रुकी हुई सी रात का
अजीब कारोबार है
एक नींद का उधार था
एक नींद का उधार है
सड़क से दौड़ती हुई
बदहवास परछाइयां
ये खिड़की पे अक्स था कोई
या सपनों का गुबार है
न ढल रहा है न उग रहा
सूरज फंसा है कलेजे में
एक रात और सुबह के बीच
थका हुआ सा करार है
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