इस तरह बना लें
हम अपनी सुबह
टेलीफोन के तारों में पिरो कर
चलें काफी दूर
और देखते चलें
क़दमों के तले
पार्कों में बिखरे हुए
यतीम लम्हों को
घर ले चलें
हम अपनी सुबह
टेलीफोन के तारों में पिरो कर
चलें काफी दूर
और देखते चलें
क़दमों के तले
पार्कों में बिखरे हुए
यतीम लम्हों को
घर ले चलें
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें