ये वो जगह है
जहाँ से
चुप्पी और चुप्पी
के बीच
बहती हुई एक नदी है
आवाज़ के बाहर
अलफ़ाज़ के बाहर
सांस और छुअन की यातनाएं हैं
देखना और देखा जाना है
चलना है बगल -बगल
खाना है
खुशबू है
और अनगिनत
भाषाएं रची बसी हैं
कर दो दस्तखत
इस चुप्पी की वादी में
निगाहों से
चुप चाप
सरका दो एक लिफाफा मेरी तरफ
तुम वो लिख दो जो तुम लिखना चाहो
मैं वो पढ़ लू जो मैं पढ़ना चाहूँ
जहाँ से
चुप्पी और चुप्पी
के बीच
बहती हुई एक नदी है
आवाज़ के बाहर
अलफ़ाज़ के बाहर
सांस और छुअन की यातनाएं हैं
देखना और देखा जाना है
चलना है बगल -बगल
खाना है
खुशबू है
और अनगिनत
भाषाएं रची बसी हैं
कर दो दस्तखत
इस चुप्पी की वादी में
निगाहों से
चुप चाप
सरका दो एक लिफाफा मेरी तरफ
तुम वो लिख दो जो तुम लिखना चाहो
मैं वो पढ़ लू जो मैं पढ़ना चाहूँ
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें