-मुशायरा-
हिन्दुस्तानी कवितायेँ - आनंद झा
सोमवार, 4 सितंबर 2017
Dilli-1
इस शहर में अफसानों का धुआं
अब भी है
इमारतों के बीच फंसा आसमां
अब भी है
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