-मुशायरा-
हिन्दुस्तानी कवितायेँ - आनंद झा
मंगलवार, 19 जुलाई 2022
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कुछ नहीं बदलेगा
वक़्त नहीं बदलेगा
लोग बदलेंगे
पर क्या बदलेंगे ?
दूरियों का डर होगा
थकान की हद पे
पैसो का बिस्तर होगा
लोग तन्हा होंगे
परेशां होंगे
तुम बदलोगे
मैं बदलूंगा
हम अपने रास्तों में
सफर ढूंढेंगे
हम लोगों में
अपने टूटे हुए
घर ढूंढेंगे
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