ये रौशनी के साथ क्यों
धुआं उठा चिराग़ से
ये ख्वाब देखता हूँ मैं
के जग पड़ा हूँ ख्वाब से
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पत्थर बन जाते
उससे पहले
उठाये पत्थर
और ज़ोर से चीखे
जब बरसाईं अनगिनत सुइयां तुमने
शफ़्फ़ाक़ आसमानों से
फिर टीवी पर उसका कार्टून चला कर
तमाशा बनाया हमारे गुस्से का
ये कैसा हिस्सा है
ये कैसा बदन है
ये क्या है उनके बीच
एक झूलते हुए टूटे हाथ सा मजबूर रिश्ता
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धुआं उठा चिराग़ से
ये ख्वाब देखता हूँ मैं
के जग पड़ा हूँ ख्वाब से
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पत्थर बन जाते
उससे पहले
उठाये पत्थर
और ज़ोर से चीखे
जब बरसाईं अनगिनत सुइयां तुमने
शफ़्फ़ाक़ आसमानों से
फिर टीवी पर उसका कार्टून चला कर
तमाशा बनाया हमारे गुस्से का
ये कैसा हिस्सा है
ये कैसा बदन है
ये क्या है उनके बीच
एक झूलते हुए टूटे हाथ सा मजबूर रिश्ता
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