एक नज़र देख लू
इतना मुक़र्रर कर लू 
इस एक पल के सिवा 
जिंदगी का हासिल क्या 
खर्च यूँ भी होती 
हमने मुहब्बत कर ली 
उम्र भर अब आरज़ू क्या 
जुस्तजू क्या मंज़िल क्या 
हमने तन्हाई सुनी 
हरकतें सुनी तुमने 
मिलके दो चार हुए 
और वफ़ा का मतलब क्या  
 
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें