रस्ते में गिरी अठन्नियां सम्हाल कर रखना
ये तुम्हारे इंतज़ार में बिछी थी 
इनसे दोस्ती करना 
अमावट की पन्नी से देखना 
पीली दुनिआ 
बड़ी खूबसूरत लगेगी 
नदी किनारे खच्चर के साथ बैठकर 
देखना 
कैसे घंटों नहाते हैं खच्चर और फिर धूप  में खाल सुखाते 
उनसे बच कर चलना 
जो हर लम्हे को पूरा जीते हैं 
कुछ खास नहीं होता वक़्त में 
बस नमी होती है 
जो उड़ जाती है 
धूप  लगते ही 
 
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