रोज़ लड़ता हूँ
रोज़ थकता हूँ
रोज़ अपने गुस्से से कहता हूँ
बस
कुछ और रोज़
इसके बाद एक नयी सुबह
एक मुक्कमल आज़ाद फलक
और रोज़
मेरा गुस्सा
कहता है
देख
इस झूठ के बाहर
का सच
रोज़ थकता हूँ
रोज़ अपने गुस्से से कहता हूँ
बस
कुछ और रोज़
इसके बाद एक नयी सुबह
एक मुक्कमल आज़ाद फलक
और रोज़
मेरा गुस्सा
कहता है
देख
इस झूठ के बाहर
का सच