-मुशायरा-
हिन्दुस्तानी कवितायेँ - आनंद झा
शनिवार, 4 मार्च 2017
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खुशबू सा देखा जाना
ऐसे जैसे धुंध पहाड़ों की
खिंच गयी हो
उन दो आँखों के बीच
और ताबीर हुआ हो एक अनकहा ख्वाब
उसी लम्हा
मैंने सुना था पहली बार
उस दरिया का शोर
जो तुमसे होकर आया है
मेरी जानिब तक
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