-मुशायरा-
हिन्दुस्तानी कवितायेँ - आनंद झा
गुरुवार, 4 फ़रवरी 2010
आगाज़
मुझको एक नज़्म की तरह रखना
करो जो याद तो मरहबा कहा करना
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