बुधवार, 22 मई 2013

baarish

बारिश की बूंदों में घोल कर पी है
शराब में थोड़ी नमी थोड़ी हवा भी घुली है
घुला है आसमान , घुली है मौसम की बेपर्वाहियाँ
थपेड़ों के मौज पर उड़ते हुए बादलों का जोर

अब तक ज़ाया की कितनी शराब
आंसुओं में घोलकर 

मंगलवार, 14 मई 2013

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कई दफा बारिश रुक गयी
आसमान में
मौसम का कोई मनचला सा मशविरा होगा

प्यासे ज़मीन के सूखे से टुकड़े ने बड़ी बेरुखी से कहा 

अच्छा मजाक है

sarhad paar

किनारों से कह दो
आज कोई दरिया नहीं बहेगा उनके बीच
मिलना हो तो मिल लें
एक दूसरे से

और देखो
शायद ज़मीन में आ जाये एक शगाफ़
और सरक कर एक किनारा
दूसरे से कहे

काफी वक़्त बह गया मिले हुए

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अक्सर ऐसा हुआ नहीं करता
दरिया के दोनों ओर  से
बस ताकती रहती हैं
आँखें एक दूजे को 

बुधवार, 1 मई 2013

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कभी पूछा नहीं कहानी सुनाने वाले से
के क्या हुआ उस शक़्स का
जिसने कहा था
कि वो बहुत दूर चला जायेगा